किसी व्यक्ति के जन्म के समय जब राहु-केतु एक-दूसरे के आमने-सामने होते हैं और सारे सातों ग्रह भी जब राहु-केतु के एक तरफ आ जाते हैं, तो दूसरी तरफ कोई ग्रह नहीं होता। जिससे कि राहु-केतु का नकारात्मक प्रभाव उस व्यक्ति की कुंडली पर पड़ जाता है। इस स्थिति को कालसर्प दोष कहा जाता है।
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, जब किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु और केतु के बीच में बाकी सभी ग्रह आ जाते हैं, तो इसे कालसर्प दोष कहते हैं. राहु को काल और केतु को सर्प का अधिदेवता माना जाता है. कालसर्प दोष से पीड़ित लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
कालसर्प दोष के कुछ लक्षण—
(01.) व्यक्ति को हमेशा डर रहता है।
(02.) रात में डरावने सपने आते हैं।
(03.) व्यक्ति को सांप के सपने आते हैं।
(04.) व्यक्ति को ऐसा लगता है कि कोई उसका पीछा कर रहा है।
(05.) व्यक्ति को मानसिक तनाव रहता है।
(06.) व्यक्ति को सही निर्णय लेने में दिक्कत होती है।
(07.) व्यक्ति को पारिवारिक कलह का सामना करना पड़ता है।
(08.) व्यक्ति को गुप्त शत्रुओं का सामना करना पड़ता है।
(09.) व्यक्ति को रोज़गार में दिक्कत होती है.
कुंडली में कालसर्प दोष हो तो क्या करें?
(01.) काल सर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति को घर या मंदिर में जाकर रोजाना शिवलिंग पर अभिषेक करना चाहिए।
(02.) प्रदोष तिथि के दिन शिव मंदिर में रुद्राभिषेक करना भी लाभकारी रहता है।
(03.) इसके अलावा उस व्यक्ति को रोजाना कुलदेवता की रोजाना प्रतिदिन आराधना करनी चाहिए।
(04.) प्रतिदिन महामृत्युंजय मंत्र का कम से कम 108 बार जप करना चाहिए।
कालसर्प दोष से राहत पाने के लिए पण्डित जी द्वारा पूजा एवं अभिषेक एवं हवन एवं महामृत्युंजय करा सकते हैं। अगर सम्भव ना हो या पण्डित जी नहीं मिले तो खुद से भगवान शिव की पूजा करें, शिव मंदिर जाकर शिवलिंग पर जल चढ़ाएं, महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें.
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